मै- भेज तो देती हूँ तुम्हें खत मैं इस लहजे से कि | हिंदी Shayari

"मै- भेज तो देती हूँ तुम्हें खत मैं इस लहजे से कि तुम पढोगे ज़रूर तुम्हें वक़्त ना मिले जो खत देखने का भी तो मेरे खत भेजने का भी क्या फायदा वो- नहीं ये हक़िकत नहीं कि वक़्त नहीं खत देखने का भी मेरे पास तेरे खत का जवाब ना दे पाऊ मैं फिर मेरे खत पढ़ने का भी क्या फायदा ©Upasana Gautam"

 मै- 
भेज तो देती हूँ तुम्हें खत मैं 
इस लहजे से कि तुम पढोगे ज़रूर
तुम्हें वक़्त ना मिले जो खत देखने का भी 
तो मेरे खत भेजने का भी क्या फायदा

वो- 
नहीं ये हक़िकत नहीं 
कि वक़्त नहीं खत देखने का भी मेरे पास
तेरे खत का जवाब ना दे पाऊ मैं
फिर मेरे खत पढ़ने का भी क्या फायदा

©Upasana Gautam

मै- भेज तो देती हूँ तुम्हें खत मैं इस लहजे से कि तुम पढोगे ज़रूर तुम्हें वक़्त ना मिले जो खत देखने का भी तो मेरे खत भेजने का भी क्या फायदा वो- नहीं ये हक़िकत नहीं कि वक़्त नहीं खत देखने का भी मेरे पास तेरे खत का जवाब ना दे पाऊ मैं फिर मेरे खत पढ़ने का भी क्या फायदा ©Upasana Gautam

मै-
भेज तो देती हूँ तुम्हें खत मैं
इस लहजे से कि तुम पढोगे ज़रूर
तुम्हें वक़्त ना मिले जो खत देखने का भी
तो मेरे खत भेजने का भी क्या फायदा

वो-
नहीं ये हक़िकत नहीं

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