दरें कफस पूछता हैं इश्क़ का अरे मेरी हैसियत तो देख...
मेंने कितनी दफ़ा लुटाया हैं ख़ुद को तुझ पर, मेरी जा मेरी हदें कैफ़ियत तो देख.....
©manish sharma
एक यूँही मसला रहा हैं ज़िन्दगी वफा के हक़दार रहें थे जो आज बेवफ़ा हों गए....
और एक जो दिया जला कर गया था तू के एक जो दिया जला कर गया था तू अफ़सोस उम्र भर उसके नीचे के अंधेरे में रहें और ये जो रोशनी भर रहीं हैं मीनार में मेरे के ये जो रोशनी भर रहीं हैं मीनार में मेरे अफ़सोस जिंदा अब हम ना रहे अफ़सोस जिन्दा अब हम ना रहें.......
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