आंखें
वह नजरें जिनसे अच्छाई-बुराई कुछ छुपाई नहीं जा सकती है,
गलत देखकर नजरें फेर लेना यह अपनी ग़लती है..!!
दरीं-दगी बढ़ती है..!!
ज़नाब उसका कारन भी हम है,
गलत होता देखकर रोकने की जगह नजरें फेर लेते है..!!
फिर कहते है??
सभी लोग गलत हैं??
दिवाली में "फटाके और रावण "दोनों को जलाते हुए आ रहे हो,
लेकिन मन के भीतर के रावण जैसे "विचारो और जलान
की भावना" न जलाते हो..!!
खोलो अब बंद आंखें रोको अब भविष्य में होने वाले अपरोधों को,
अपनों को ही दे डालो सज़ा गलत हो चाहे तुम्हारा कोई प्रिय ही।।
Jai Hind Jai Bharat
©I_surbhiladha
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