अजीब सी नफरत थी उसमें, कमलेश दिन नहीं गुजरता उसक | हिंदी शायरी

"अजीब सी नफरत थी उसमें, कमलेश दिन नहीं गुजरता उसका बगैर करे दीदार। अब उसकी गाली भी मजा देती है मुझे इश्क गिरा ही देगा, एक दिन ये नफरत की दीवार। ©Kamlesh Kandpal"

 अजीब सी नफरत थी उसमें, कमलेश 
दिन नहीं  गुजरता उसका बगैर करे दीदार।
अब उसकी गाली भी मजा देती है मुझे
इश्क गिरा ही देगा, एक दिन ये नफरत की दीवार।

©Kamlesh Kandpal

अजीब सी नफरत थी उसमें, कमलेश दिन नहीं गुजरता उसका बगैर करे दीदार। अब उसकी गाली भी मजा देती है मुझे इश्क गिरा ही देगा, एक दिन ये नफरत की दीवार। ©Kamlesh Kandpal

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