जिस दरगाह पर सज़दा करते थे..जिस मंदिर में शीश झुकाते थे..!
तुम्हारे पीछे पीछे जिन राहों पर..दूर तक चले जाते थे..!!
हाँ वही नीम का पेड़ जहाँ तुम..मिलने रोज़ बुलाते थे..!
हाथ पकड़ कर मेरा तुम..जिन मेलो में घुमाते थे..!!
वही चौबारे जिनके कोने हम..फूल पत्तो से सजाते थे..!
वही झरोखे जिनसे गीत वफ़ा के..हौले हौले गाते थे..!!
उन्ही पुरानी यादो से..कसमों से और वादों से..!
शहर से दौड़े दौड़े 'निर्लज़'..हम अक्सर मिलने आते थे..!!
©Nirlazz
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