कभी सुबह था अब अंधेरा भी नही हूं, मैं अब मेरा भी न | हिंदी शायरी

"कभी सुबह था अब अंधेरा भी नही हूं, मैं अब मेरा भी नहीं हूं । तुमसे मोहब्बत क्या हुई सब खो दिया, कभी सारा गांव रहता था मुझमें, फिलहाल बसेरा भी नहीं हूं । की मैं अब मेरा भी नहीं हूं .... ©mahadevbhakt06"

 कभी सुबह था अब अंधेरा भी नही हूं,
मैं अब मेरा भी नहीं हूं ।
तुमसे मोहब्बत क्या हुई सब खो दिया,
कभी सारा गांव रहता था मुझमें,
फिलहाल बसेरा भी नहीं हूं ।
की मैं अब मेरा भी नहीं हूं ....

©mahadevbhakt06

कभी सुबह था अब अंधेरा भी नही हूं, मैं अब मेरा भी नहीं हूं । तुमसे मोहब्बत क्या हुई सब खो दिया, कभी सारा गांव रहता था मुझमें, फिलहाल बसेरा भी नहीं हूं । की मैं अब मेरा भी नहीं हूं .... ©mahadevbhakt06

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