Criticisms आलोचना चुभती तो
बहुत ज़ोर की हैं
की दर्द आँसुओं से
ही निकलता हैं,
लेकिन अग़र सच्ची आलोचना
हैं, ये तो दिल को भी
पता होता है,
तो आंसुओ को
बहने मत दो ,इन आँसुओ को
इकठ्ठा कर चट्टान बनाओ ह्रदय में
फ़िर उस चट्टान को खुद से तोड़ो
फिऱ खुद को औऱ आलोचक को
दिखाओ की तुम हर -हर चुनोतियाँ पार कर
सकते हो।
©rashmi singh raghuvanshi
#आलोचना✨✨