सुने जाते न थे तुम से मिरे दिन रात के शिकवे कफ़ | हिंदी Shayari

"सुने जाते न थे तुम से मिरे दिन रात के शिकवे कफ़न सरकाओ मेरी बे-ज़बानी देखते जाओ"

 सुने जाते न थे तुम से मिरे दिन

 रात के शिकवे

कफ़न सरकाओ मेरी बे-ज़बानी

 देखते जाओ

सुने जाते न थे तुम से मिरे दिन रात के शिकवे कफ़न सरकाओ मेरी बे-ज़बानी देखते जाओ

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