कभी-à

"कभी-कभी दिन ढलने तो दो शाम को घर आ जायेंगे परिंदे भला घोंसला छोड़ के कहा जायेंगे खुद ही जानते है हम राह बनाने का हुनर हम राहें भटक भी जायेंगे तो भी कहा जायेंगे ©Raza _k_Razput "

कभी-कभी दिन ढलने तो दो शाम को घर आ जायेंगे परिंदे भला घोंसला छोड़ के कहा जायेंगे खुद ही जानते है हम राह बनाने का हुनर हम राहें भटक भी जायेंगे तो भी कहा जायेंगे ©Raza _k_Razput

#Twowords @Radhika Aradhiya प्रिय-अंक @Bhupendra Singh Solanki Santosh Narwar Aligarh @Santosh Verma

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