"नफरत है गर तुझे बेवकूफि से इतनी सहर
जियेगा कैसे फिर इस बस्ती में इंसान होके ।
मिलेंगे नहीं हम अब उसे किसी भी हालत में
ढूंढ ले चाहे कितना भी खुद में परीशां हो के ।"
नफरत है गर तुझे बेवकूफि से इतनी सहर
जियेगा कैसे फिर इस बस्ती में इंसान होके ।
मिलेंगे नहीं हम अब उसे किसी भी हालत में
ढूंढ ले चाहे कितना भी खुद में परीशां हो के ।