पल
गुमनाम सा क्यू वो पल हो गया है,
जिस पल में कभी हम हमे ढूंढ ते थे।
न जाने कहाँ वो पल खो गया है,
जिस पल को हम कभी खोजते थे।
जाने भी दो यारों अब उस पल को,
कुछ समय के लिए वो कहीं सो गया है।
आशा निराशा सी होती है किंतु
बताएँ तुम्हें क्या ढल हम पे रहा है।
सोचा कि एक दिन कुछ कर गुजर लेंगे,
पर ये ना था सोचा कि कोशिश में इसकी
गुजरते गुजरते
इक दिन यहां से हम ही गुजर लेंगे।
समय था वो मेरा जो अब गुम गया है,
बस कोशिश है ज़िंदा पर वो पल मर गया है।
करूंगा दुबारा जीवित मैं उस पल को,
वो मेरी काया में बस सा गया है।
गुमनाम सा क्यू वो पल हो गया है...........
-Naman vyas
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