एक सोंच रहना खिले खिले यही वक़्त का तकाज़ा है मुरझा | हिंदी विचार
"एक सोंच
रहना खिले खिले यही वक़्त का तकाज़ा है
मुरझाये फूलों को तो माली भी फेंक देता है।
पर
उम्र लेकर मुरझाने में कोई ख़ता नही
कि मुरझा कर ही एक फूल बीज बनता है।"
एक सोंच
रहना खिले खिले यही वक़्त का तकाज़ा है
मुरझाये फूलों को तो माली भी फेंक देता है।
पर
उम्र लेकर मुरझाने में कोई ख़ता नही
कि मुरझा कर ही एक फूल बीज बनता है।