दिल नाउम्मीद नहीं नाकाम ही तो है। लंबी है ग़म की शा | हिंदी शायरी

"दिल नाउम्मीद नहीं नाकाम ही तो है। लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।। ग़म की शाम चाहे लंबी कितनी भी हो। खुशियों के सूरज को उगना भी तो है। ©Muqeem Shadab"

 दिल नाउम्मीद नहीं नाकाम ही तो है।
लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।।
ग़म की शाम चाहे लंबी कितनी भी हो।
खुशियों के सूरज को उगना भी तो है।

©Muqeem Shadab

दिल नाउम्मीद नहीं नाकाम ही तो है। लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।। ग़म की शाम चाहे लंबी कितनी भी हो। खुशियों के सूरज को उगना भी तो है। ©Muqeem Shadab

दिल नाउम्मीद नहीं नाकाम ही तो है।
लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।।
ग़म की शाम चाहे लंबी कितनी भी हो।
खुशियों के सूरज को उगना भी तो है।
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