"दिल पर लिखा है मैंने जबसे तेरा नाम,
भंवरों ने भेजा है फूलों को पैगाम;
नजारों ने बिखेरी है रंगों की ये शाम,
सितारे भी मदहोश हैं पीकर के ये जाम।
नग़्में भी गूँजे हैं और शहनाईयाँ भी बजी हैं,
शरमाती हुई वादियाँ दुल्हन सी सजी हैं;
कलकल करती नदियाँ कंगन सी खनकी हैं,
चाँद की चाँदनी बिंदिया सी चमकी है।