हम बैठे थे तेरी उनकी जुल्फो के साए में और साहिल पे | हिंदी Shayari

"हम बैठे थे तेरी उनकी जुल्फो के साए में और साहिल पे धूप बरसती रही हजारों की भीड़ थी हमारे दरमियान पर निगाहे तुझ एक को तरसती रही ©Pankaj Masih"

 हम बैठे थे तेरी उनकी जुल्फो
के साए में
और साहिल पे धूप बरसती रही
हजारों की भीड़ थी हमारे दरमियान
पर निगाहे तुझ एक को 
तरसती रही

©Pankaj Masih

हम बैठे थे तेरी उनकी जुल्फो के साए में और साहिल पे धूप बरसती रही हजारों की भीड़ थी हमारे दरमियान पर निगाहे तुझ एक को तरसती रही ©Pankaj Masih

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