तेरे होंठ जैसे पंखुड़ी हो गुलाब की । तेरी आँख जै | English Shayari

"तेरे होंठ जैसे पंखुड़ी हो गुलाब की । तेरी आँख जैसे दरिया हो शराब की ।। ऐ हुस्न परी जरा ये तो बता । अप्सरा हो या परी हो मेरे ख्वाब की ।। सुनहरे बाल, खिला चेहरा और महकता बदन । शहजादी हो या बेटी हो किसी नवाब की ।। लहराते जुल्फ ,मदमस्त निगाहें और आंखों में हया। उड़ा के होश पूछती हो, खैरियत कैसी है जनाब की ।। तेरे रूप का दीवाना सिर्फ मैं ही नहीं । खुदा भी कायल है तेरे हुस्न-ए-शबाब की ।। ©Prabhat Kumar"

 तेरे होंठ जैसे पंखुड़ी हो गुलाब की । 

तेरी आँख जैसे दरिया हो शराब की ।।

ऐ हुस्न परी जरा ये तो बता ।

अप्सरा हो या परी हो मेरे ख्वाब की ।।

सुनहरे बाल, खिला चेहरा और महकता बदन ।

शहजादी हो या बेटी हो किसी नवाब की ।।

 लहराते जुल्फ ,मदमस्त निगाहें और आंखों में हया।

उड़ा के होश पूछती हो, खैरियत कैसी है जनाब की ।।

तेरे रूप का दीवाना सिर्फ मैं ही नहीं ।

खुदा भी कायल है तेरे हुस्न-ए-शबाब की ।।

©Prabhat Kumar

तेरे होंठ जैसे पंखुड़ी हो गुलाब की । तेरी आँख जैसे दरिया हो शराब की ।। ऐ हुस्न परी जरा ये तो बता । अप्सरा हो या परी हो मेरे ख्वाब की ।। सुनहरे बाल, खिला चेहरा और महकता बदन । शहजादी हो या बेटी हो किसी नवाब की ।। लहराते जुल्फ ,मदमस्त निगाहें और आंखों में हया। उड़ा के होश पूछती हो, खैरियत कैसी है जनाब की ।। तेरे रूप का दीवाना सिर्फ मैं ही नहीं । खुदा भी कायल है तेरे हुस्न-ए-शबाब की ।। ©Prabhat Kumar

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