अरमान हमारे दिलों के टूटे कांच की तरह बिखर गए था जिन लोगों से रूहानी वास्ता हमारा ना जाने वो लोग किधर गए सैलाब उड़ा कर लें गया सर से हमारी छत को देखने को अब बस फोटो रह गए भीगे तो हम भी इस बार बहुत आसुओं की बारिश मेँ अब सिर्फ कागज़ों मेँ किस्से रह गए था जिन लोगो से रूहानी वास्ता हमारा ना जाने वो लोग किधर गए
©PANKAJ BATHLA
#SunSet