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सुनो हिमालय के उस पार,
जहाँ शिव का वास है,
वहां गूंजती है हर रोज़,
शिव की अद्भुत शान।
कैलाश पर्वत की चोटियों पर,
गंगाजल की धारा बहती,
महादेव का रुद्र रूप,
शांतिमा में भी व्याप्त है।
त्रिशूल की चमक में,
बसा है त्रिलोकी का पालनहार,
जटाओं में लिपटी गंगा,
करती शिव का अभिषेक सदा।
डमरू की ध्वनि में,
नृत्य करते नटराज,
शिव का श्रवण अमर कथा,
सुनते देवता और साधक।
भोलेनाथ का आदर सदा,
मनुष्य और प्रकृति का संयोग,
शिव की महिमा अपरंपार,
हर कण में बसी है उनकी छवि।
औघड़ दानी, कृपा के सागर,
हर हर महादेव का गान,
शिव का श्रवण है आनंद,
जीवन में भर दे नए प्राण।
©kbkiranbisht
#sawan_2024