दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रि | हिंदी कविता

"दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।। हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम । कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।। सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम । पहला सीता राम है , दूजा राधेश्याम ।। जीवन रक्षक आप हैं , जीवन दाता आप । फिर बतलाएँ आप प्रभु , होता क्यूँ संताप ।। वह मेरा भगवान है , यह तन है परिधान । बस इतना ही जानता , यह बालक नादान ।। डाल बाँह बीवी गले , भूल गये वह फर्ज । अब तो माँ के दूध का , याद नही है कर्ज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 दोहा :-
जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम ।
रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।।
भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम ।
वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।।
हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम ।
कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।।
सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम ।
पहला सीता राम है , दूजा राधेश्याम ।।
जीवन रक्षक आप हैं , जीवन दाता आप ।
फिर बतलाएँ आप प्रभु , होता क्यूँ संताप ।।
वह मेरा भगवान है , यह तन है परिधान ।
बस इतना ही जानता , यह बालक नादान ।।
डाल बाँह बीवी गले , भूल गये वह फर्ज ।
अब तो माँ के दूध का , याद नही है कर्ज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।। हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम । कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।। सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम । पहला सीता राम है , दूजा राधेश्याम ।। जीवन रक्षक आप हैं , जीवन दाता आप । फिर बतलाएँ आप प्रभु , होता क्यूँ संताप ।। वह मेरा भगवान है , यह तन है परिधान । बस इतना ही जानता , यह बालक नादान ।। डाल बाँह बीवी गले , भूल गये वह फर्ज । अब तो माँ के दूध का , याद नही है कर्ज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :-
जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम ।
रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।।
भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम ।
वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।।
हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम ।
कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।।
सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम ।

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