White शुभ रात्रि
दिन ढलते ही अपनों को
शुभ रात्रि कहतें हैं
काम काज व भाग दौड़ से
सभी थके रहतें हैं
उड़ आयेगा चाँद गगन में
झिलमिल झिलमिल तारे
खुश को जाए तन मन उसका
जो भी इन्हें निहारे
किसी को अवशर मिला सुनहरा
आज करेगा चोरी
कोई निकला है निर्जन में
बुला रही है गोरी
किसी को मिठी नींद मिलेगी
सुंदर सुंदर सपने
बेखुद हमराही को लेगा
आलिंगन में अपने
©Sunil Kumar Maurya Bekhud
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