आये हैं शरण तुम्हारी गुरुदेव कृपा कर दो,
इस दीन दुखी मन में आनंद सुधा भर दो।।
दुनिया से हार कर के, अब द्वार तेरे आया,
श्रद्धा के सुमन चुन कर, सद्भाव से हूँ लाया,
करूणा का हाथ सिर पर, हे नाथ मेरे धर दो।।
किस भांति करूँ पूजा, कोई विधि नहीं जानूँ,
तेरा स्वरूप भगवन, किस आंख से पहचानूँ,
टूटी मन वीणा में, मेरे भक्ति का स्वर भर दो।।
अनजानी मंजिल है, चहुं दिशा है अंधियारा,
करुणानिधान अब तो, बस है तेरा सहारा,
इस दास अकिंचन को, निज परमधाम दे दो।।
'प्रेम पुकार' से
©Heer
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