"बड़ा उत्सुक हूँ, के जल्द किसी सज़ा का इन्तज़ाम हो
ईन्सान - ऐ - जिन्दगी, मौत के सामने नीलाम हो
बनकर घर का बन्दी भी ईन्सान को समझ नहीं आया
काश इससे भी बत्तर इस सज़ा का अंजाम हो"
बड़ा उत्सुक हूँ, के जल्द किसी सज़ा का इन्तज़ाम हो
ईन्सान - ऐ - जिन्दगी, मौत के सामने नीलाम हो
बनकर घर का बन्दी भी ईन्सान को समझ नहीं आया
काश इससे भी बत्तर इस सज़ा का अंजाम हो