White सावन आया रे सखी पैरों  चिपकी गार बेलें लिपट | हिंदी कविता V

"White सावन आया रे सखी पैरों  चिपकी गार बेलें लिपटी हैं वृक्षों साजन लिपटी नार। सावन की झड़ी लगे चुभे ठंडी बयार सखी लिख संदेश कोई अब घर आये भरतार। जब मोर देखूं नाचते मन में माचे शौर झूले पड़े हैं पेड़ों पर अब तो आ चितचोर। तीज त्यौंहार आ रहा सही न जाये दूरी मेरे हिरदेश तू यों बसे जैसे मृग कुंडली कस्तूरी।। गार- गिली मिट्टी भरतार -पति ©Mohan Sardarshahari "

White सावन आया रे सखी पैरों  चिपकी गार बेलें लिपटी हैं वृक्षों साजन लिपटी नार। सावन की झड़ी लगे चुभे ठंडी बयार सखी लिख संदेश कोई अब घर आये भरतार। जब मोर देखूं नाचते मन में माचे शौर झूले पड़े हैं पेड़ों पर अब तो आ चितचोर। तीज त्यौंहार आ रहा सही न जाये दूरी मेरे हिरदेश तू यों बसे जैसे मृग कुंडली कस्तूरी।। गार- गिली मिट्टी भरतार -पति ©Mohan Sardarshahari

सावन

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