आज़ादी आज़ादी मिल तो गई, | हिंदी शायरी

"आज़ादी आज़ादी मिल तो गई, पर हमें बितानी नहीं आई। जो सपने शहीदों ने देखे थे, वैसे समाज में रूहानी नहीं आई । न प्यार है आपस में, न वो जज्बा मर मिटने का , तभी तो , क्या है राष्ट्र और राष्ट्रगान क्या है ? मान सम्मान करना है इनका हमें, एक दूसरे पर मर मिटने का एहसास क्या है? ये बातें किसी को समझानी नहीं आई।"

 आज़ादी  आज़ादी मिल तो गई,
                                 पर हमें बितानी नहीं आई।
जो सपने शहीदों ने देखे थे,
वैसे समाज में रूहानी नहीं आई ।
न प्यार है आपस में, न वो जज्बा मर मिटने का ,
तभी तो ,
क्या है राष्ट्र और राष्ट्रगान क्या है ?
 मान सम्मान करना है इनका हमें,
एक दूसरे पर मर मिटने का एहसास क्या है?
ये बातें किसी को समझानी नहीं आई।

आज़ादी आज़ादी मिल तो गई, पर हमें बितानी नहीं आई। जो सपने शहीदों ने देखे थे, वैसे समाज में रूहानी नहीं आई । न प्यार है आपस में, न वो जज्बा मर मिटने का , तभी तो , क्या है राष्ट्र और राष्ट्रगान क्या है ? मान सम्मान करना है इनका हमें, एक दूसरे पर मर मिटने का एहसास क्या है? ये बातें किसी को समझानी नहीं आई।

#आज़ादी ✍️✍️✍️ @Ak Saharan @Anusaya Alewar @Deepti Sengar Pratibha Tiwari(smile)🙂 कवि अंकित

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