यकीन नहीं होता लैला मजनू के देश में दो तीन चार चा | हिंदी शायरी

"यकीन नहीं होता लैला मजनू के देश में दो तीन चार चार शादियां करते हैं शेख क्यों शायरी में इश्क़ में कौन सी शिद्दत का जिक्र करते है या तो गुमराह खुद है या सिर्फ दूसरों को करते है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar"

 यकीन नहीं होता लैला मजनू के देश में 
दो तीन चार चार शादियां करते हैं शेख क्यों 
शायरी में इश्क़ में कौन सी शिद्दत का जिक्र करते है
या तो गुमराह खुद है या सिर्फ दूसरों को करते है 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

यकीन नहीं होता लैला मजनू के देश में दो तीन चार चार शादियां करते हैं शेख क्यों शायरी में इश्क़ में कौन सी शिद्दत का जिक्र करते है या तो गुमराह खुद है या सिर्फ दूसरों को करते है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

शिद्दत

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