"फूल खिल रहे
कलियाँ निकल रहीं
सूरज निकल रहा
किरणें निकल रहीं
प्रेम बरस रहा
ओस की बूंद
ठंडी हवाएं
हरी-2 घास
इंद्रधनुष पास
प्रेम बरस रहा
कच्ची-पक्की अमिया
लीची भी पकिया
बागों में बहार
प्रेम बरस रहा
कोई जाग रहा
कोई सो रहा
इधर देखो
प्रकृति का
प्रेम बरस रहा।
©अनूप'बसर'"