White जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का,
आवाज हमें ना सुनाई देगा।
तब कैसे एक बेटी का,
तड़पना अब हमें दिखाई देगा।
जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी,
तब नर में छिपा जानवर मिला।
हिफाजत मांगती आवाज लगाई,
फिर लाखों भीड़ में एक ना दिखा।
क्यों बढ़ रहे हैं दरिंदगी के हौसले,
या बढ़ रहे सितम समाज में।
फिर लिखते क्यों है ऐसी कहानी,
जो पढ़ ना सके कल और आज में।
लाख बुराइयों को मिटाए,
फिर भी ना मिटे बुराई समाज में।
जब तक बुराई विचारों से नहीं मिटती,
यह बीमारी मिलेगी कल और आज में।
जब मिला सहारा इस जीवन का,
इस ऋण को चुकाना भी होगा।
जैसा खेल रचा है तुमने,
इसका परिणाम अवश्य मिलेगा।
Author_ _Rohan Roy
©Rohan Roy
जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का,
आवाज हमें ना सुनाई देगा।
तब कैसे एक बेटी का,
तड़पना अब हमें दिखाई देगा।
जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी,
तब नर में छिपा जानवर मिला।
हिफाजत मांगती आवाज लगाई,
फिर लाखों भीड़ में एक ना दिखा।