मैं तो सिर्फ तुम्हें ही लिखती हूं
शब्दों को पिरोकर कागज पर लिखती हूं
कभी तेरी याद में लिखती हूं तो,
कभी तेरी बात में लिखती हूं
मैं तो बस तुम्हें ही लिखती हूं
कभी खुशी में लिखती हूं
तो कभी गम में लिखती हूं
कभी मिलन में लिखती हूं
तो कभी जुदाई में लिखती हूं
मैं तो बस तुम्हें ही लिखती हूं
बरसात की भीगी हर बूंद को लिखती हूं
तो कभी भीगे हुए मन को लिखती हैं
मैं तो बस तुम्हें ही लिखती हूं
कभी ख्वाब लिखती हूं
तो कभी हकीकत लिखती हूं
कभी याद लिखती हूं
तो कभी बात लिखती हूं
मैं तो सिर्फ तुम्हें ही लिखती हूं,
मैं तो सिर्फ तुम्हें ही लिखती हूं।।
©Matangi Upadhyay( चिंका )
मैं तो सिर्फ तुम्हें ही लिखती हुं ❤️
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