मुस्कुराहटें छीन ली जाती हैं,ईर्ष्या के इस दौर में
"मुस्कुराहटें छीन ली जाती हैं,ईर्ष्या के इस दौर में।
खुशियाँ दबा सी दी जाती हैं मक्कारी के शोर में।
तुम देख लेना अपनों को जरा करीब से और गौर से।
तुम्हें गिराने में भी किसी अपने का ही लगा जोर है।"
मुस्कुराहटें छीन ली जाती हैं,ईर्ष्या के इस दौर में।
खुशियाँ दबा सी दी जाती हैं मक्कारी के शोर में।
तुम देख लेना अपनों को जरा करीब से और गौर से।
तुम्हें गिराने में भी किसी अपने का ही लगा जोर है।