ऐ ख़ुदा! एक जवाब तुम भी देना....,
सवालों का दरिया इतना गहरा है कि,
खुद की तलाश में कही डूब ना जाऊं,
बेखबर मै अपनी किस्मत से,
बिखरे पन्नों को किताब बनाने,
की कोशिश में कही हार ना जाऊं,
वक़्त का भी रिश्ता अजीब है मेरे साथ,
कभी अपनों से तो कभी सपनों से रूठना - मनाना है,
डगमगाते मेरे पैर और लडखडाती मेरी आवाज़...,
अब क्या कहना???
ऐ ख़ुदा! एक जवाब तुम भी देना....,
- Reena parmar
©Dr.Reena parmar
#FREEDOMART