हमारा साथ उनको खल रहा है।
हमारे साथ जिनका कल रहा है।
उसे भी याद आनी चाहिए थी।
हमे क्यों उसका जाना खल रहा है।
हमारा ग़म अभी तक क्यों हरा है।
उधर वो मौसमों सा ढल रहा है।
जंहा पर बैठते थे हम यूँ अक्सर।
वहीं वो अब किसी से मिल रहा है।
अबस सी हो गई है ज़िन्दगी भी।
कि जैसे कोई मुर्दा जल रहा है।
हमे मालूम वो एक ज़हर है।
मग़र अब ज़िन्दगी में घुल रहा है।
©prajjval
💛
#Dark