पतंग के मंझे सा उलझा ये मन, डोर बंधी है मेरे कान्ह | हिंदी कविता Video

"पतंग के मंझे सा उलझा ये मन, डोर बंधी है मेरे कान्हा के दामन खिलते मौसम में खिल जाये मन, जीवन में उड़े मीठे गुड़ सी सुगंध। मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ♦️♦️🧶🔶 ©mausam "

पतंग के मंझे सा उलझा ये मन, डोर बंधी है मेरे कान्हा के दामन खिलते मौसम में खिल जाये मन, जीवन में उड़े मीठे गुड़ सी सुगंध। मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ♦️♦️🧶🔶 ©mausam

#makarsankranti

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