ये दुनिया बहुत आगे निकल गयी ।
इतने आगे कि इन्होंने सदैव देखा आगे ॥
ये भूल गये देखना पीछे ।
पर पीछे था क्या ?
जी कुछ नहीं
पीछे थे कुछ अपने I
जिन्हे छोड़ था कुछ अपनो ने पीछे ।
पर जो आगे गये , क्या वो अपने थे ?
हाँ वो अपने थे ।
नहीं तुम्हे कुछ भ्रम हुआ है ॥
जो आगे गये वो नहीं थे तुम्हारी अपने I
पर आगे ऐसा था क्या ?
कि वो चलते रहे आगे
आगे माया जिसे हर कोई पाना चाहता है
पर माया रास्ता बना सदैव अन्धकार का
छोडो ये बड़ी बड़ी बाते अच्छी नहीं ।
नहीं ये बडी बडी बाते नहीं है
ये सत्य है
तुम देखो थोडा अपने पीछे ।
क्यो?
जिसे तुम पीछे समझ रहे हो
वो वास्तव में है तुम्हारा आगे
पर वहाँ है क्या ?
वहाँ है अंशुमली से भी ज्यादा
तेज प्रकाश जिसे हर कोई प्राप्त
करना चाहता है
पर इसे कोई प्राप्त नहीं कर सकता ।
पर क्यों ?
क्योंकि सब देखते है आगे
जो वास्तव में होता है इस प्रकाश
से अनन्त पीछे ॥
✍️ नेहा आभा नौटियाल
devbhumi uttarakhand
©Neha Aabha Nautiyal
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