बेनाम सा यह दर्द बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जा

"बेनाम सा यह दर्द बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूं नही जाता वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा जाते है जिधर सब मैं उधर क्यूं नही जाता वो नाम जो बरसों से न चेहरा है न बदन है वो ख्वाब अगर है तो बिखर क्यूं नही जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यूं नही जाता बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता। 𝓡𝓸𝔂𝓪𝓵......✍ ©Royal"

 बेनाम सा यह दर्द बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता
 जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता
 सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें
 क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूं नही जाता
 वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं
 जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता
 मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
 जाते है जिधर सब मैं उधर क्यूं नही जाता
 वो नाम जो बरसों से न चेहरा है न बदन है
 वो ख्वाब अगर है तो बिखर क्यूं नही जाता
 जो बीत गया है वो गुज़र क्यूं नही जाता
 बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता।
𝓡𝓸𝔂𝓪𝓵......✍

©Royal

बेनाम सा यह दर्द बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूं नही जाता वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा जाते है जिधर सब मैं उधर क्यूं नही जाता वो नाम जो बरसों से न चेहरा है न बदन है वो ख्वाब अगर है तो बिखर क्यूं नही जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यूं नही जाता बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता। 𝓡𝓸𝔂𝓪𝓵......✍ ©Royal

#allalone

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