दहशत वक़्त की देखकर, वक़्त से,गुजारिश कर रहा हूँ, | हिंदी शायरी

"दहशत वक़्त की देखकर, वक़्त से,गुजारिश कर रहा हूँ, मैं,अपनी मेहनत की शिफारिस् वक़्त से कर रहा हूँ, लौटा देना मेहनताना मेरा, जिसके लिए मैं ,रात दिन एक कर रह हूँ | ©पथिक.."

 दहशत वक़्त की देखकर, 
वक़्त से,गुजारिश कर रहा हूँ, 
मैं,अपनी मेहनत की शिफारिस्
वक़्त से कर रहा हूँ, 
लौटा देना मेहनताना मेरा, जिसके
लिए मैं ,रात दिन एक कर रह हूँ |

©पथिक..

दहशत वक़्त की देखकर, वक़्त से,गुजारिश कर रहा हूँ, मैं,अपनी मेहनत की शिफारिस् वक़्त से कर रहा हूँ, लौटा देना मेहनताना मेरा, जिसके लिए मैं ,रात दिन एक कर रह हूँ | ©पथिक..

#वक़्तकीनज़ाकत

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