White "सौंदर्य" सदैव की है? मुख की सौंदर्य देख म | हिंदी कवि

"White "सौंदर्य" सदैव की है? मुख की सौंदर्य देख मन प्रफुल्लित हो गया, प्रतीत ऐसा हुआ हरियाली सदैव की है। पल-दर-पल गुजरता है, परिवर्तन सदैव की है। हम ही झूठे हैं वक्त तो बदलता गया ऋतुओं की तरह, यह सिलसिला ही सदैव की है। जिन्हे सौन्दर्य पर अहंकार था, वो सौंदर्य ही ना रही जो दिखी सदैव की है। उसने अभिमान में कई छल-कपट किये, ना रही कुछ नाम की, वास्तविकता सदैव की है। जीवन अंधकारमय हुई वास्तव में, छल कर, ना सौंदर्य की आश बची, ना अस्तित्व सदैव की है। रूप पे इतराकर, भ्रमित बने रहे आजीवन, वह हरियाली वास्तविक मिथ्या, सदैव की है। अब उस पड़ाव पर ले आयी अभिमान मुझे, ना कोई अपना रहा, ना कुछ शेष सदैव की है। फिर भी जीवन की सुंदरता देख मन प्रफुल्लित हो गया, क्या यह "सौंदर्य" सदैव की है। ©Mahesh Kopa"

 White  "सौंदर्य" सदैव की है?

मुख की सौंदर्य देख मन प्रफुल्लित हो गया,
प्रतीत ऐसा हुआ हरियाली सदैव की है।

पल-दर-पल गुजरता है,
परिवर्तन सदैव की है।

हम ही झूठे हैं वक्त तो बदलता गया ऋतुओं की तरह,
यह सिलसिला ही सदैव की है।

जिन्हे सौन्दर्य पर अहंकार था,
वो सौंदर्य ही ना रही जो दिखी सदैव की है।

उसने अभिमान में कई छल-कपट किये,
ना रही कुछ नाम की, वास्तविकता सदैव की है।

जीवन अंधकारमय हुई वास्तव में, छल कर,
ना सौंदर्य की आश बची, ना अस्तित्व सदैव की है।

रूप पे इतराकर, भ्रमित बने रहे आजीवन,
वह हरियाली वास्तविक मिथ्या, सदैव की है।

अब उस पड़ाव पर ले आयी अभिमान मुझे,
ना कोई अपना रहा, ना कुछ शेष सदैव की है।

फिर भी जीवन की सुंदरता देख मन प्रफुल्लित हो गया,
क्या यह "सौंदर्य" सदैव की है।

©Mahesh Kopa

White "सौंदर्य" सदैव की है? मुख की सौंदर्य देख मन प्रफुल्लित हो गया, प्रतीत ऐसा हुआ हरियाली सदैव की है। पल-दर-पल गुजरता है, परिवर्तन सदैव की है। हम ही झूठे हैं वक्त तो बदलता गया ऋतुओं की तरह, यह सिलसिला ही सदैव की है। जिन्हे सौन्दर्य पर अहंकार था, वो सौंदर्य ही ना रही जो दिखी सदैव की है। उसने अभिमान में कई छल-कपट किये, ना रही कुछ नाम की, वास्तविकता सदैव की है। जीवन अंधकारमय हुई वास्तव में, छल कर, ना सौंदर्य की आश बची, ना अस्तित्व सदैव की है। रूप पे इतराकर, भ्रमित बने रहे आजीवन, वह हरियाली वास्तविक मिथ्या, सदैव की है। अब उस पड़ाव पर ले आयी अभिमान मुझे, ना कोई अपना रहा, ना कुछ शेष सदैव की है। फिर भी जीवन की सुंदरता देख मन प्रफुल्लित हो गया, क्या यह "सौंदर्य" सदैव की है। ©Mahesh Kopa

#sad_shayari

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