हर_घर_तिरंगा
होगा हर घर तिरंगा जब, हरेक के पास घर होगा।
होंगे सब प्रेरित, जब पेट में अन्न का दाना व मुंह में निवाला होगा।
होगा देश उन्नत, जब बेरोजगारों के पास रोजगार होगा।
होगा चैन, होगी शांति जब,,,हरेक के हाथ लिखना सीख लेगा।
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के नारे पर अमल होगा।
खिलेगा चमन जब, सब माताएं_बहनें अमन से घूमेंगी।
मुस्कुराएगा देश जब फसलें लहलाएगी।
होगी सबकी कैफियत खुशमिजाज जब
किसानों के अधरों पर स्मित मुस्कान होगी।
बढ़ेगा आगे, जब हर घर पढ़ेगा।
तब स्वत:" देश_भक्ति" अंत: करण से फूट पड़ेगी।
होगी खुशियां चारों ओर जब प्रकृति झूमेगी।
पशु_पक्षी_जानवर, पेड़_पौधे चैन की सांस लेंगे।
होगा भाई_चारा, एकता, शांति,
जीने लगेंगे दूसरों के लिए जब, तब
नदियों, पहाड़ों, झीलों से भी वंदे_मातरम गूंजेगा।
तब शायद नहीं ज़रूरत पड़ेगी,,2/2की फोटो social media में डालने की।
नहीं देनी होगी तिलस्मी फ़ोटो से देश_भक्ति का प्रमाण।
नहीं जरूरत पड़ेगी मुस्कान का तत्क्षण आवरण ओढ़ लेने की।
नहीं ज़रूरत पड़ेगी मानसून देश_भक्ति की,
जो राष्ट्रीय दिवसों पर झंकझोर के जगाया जाय।
यद्यपि, आज़ादी का तात्पर्य स्वतंत्रता/गणतंत्र के एक दिन का नहीं होगा।
तथापि हरेक दिन, हरेक पल, हरेक छन् *जय_ हिंद*का स्वर गूंजेगा।
हरेक की जुबां देश_भक्ति का नगमा गुनगुनाएगी।
हरेक दिन उत्सव होगा।।
~Meri lekhni
©Beauty Kumari
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