दूर से बेहद सुंदर सच में मधुबन के काँटो सी लगती है।
कभी कभी जिंदगी यहाँ नरक की सौगातों सी लगती है।
शुभेन्द्र जब इंसान जिंदगी के धागों में उलझ जाता है
कभी कभी मौत यहाँ संगिनी या सहेली सी लगती है।।
©शुभेंद्र सिंह 'संन्यासी'
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