ये आज का संसार हैं
जहाँ हर कोई अकेला है
जहाँ हम सब हमदर्द हैं
और हम सब को सबसे दूर भागना हैं
भागना हैं दूर क्षितिज के किसी किनारे पे
पर इस गोल संसार में
हम जहाँ से शुरू होते हैं
वहीं आ लौटते हैं
और ये हो भी क्यों न
आख़िर हम दुःख से डूबे हुए
इस समंदर में जो तैर रहे हैं
हमको बचाने वाला हाथ भी
दूसरे डूबते बन्दे का ही तो हैं
पर भला कभी कोई सोता हुआ
किसी और को सपने देखने से रोक सकेगा?
डरो मत
हम इस समंदर में तो हैं
पर समंदर तैर के नहीं
नाऊ से पार होते हैं
दुःख से इतना लगाव अच्छा नहीं
अकेले रहने में कोई हर्ज़ नहीं
चुप रहना कुछ बुरा नहीं
ख्यालों का पीछा करना आसान नहीं
ख़ैर ये तो चलता रहेगा
तुम बताओ
क्या आज तुम खुश हो?
क्या तुम सही से सो पाये ?
उज्ज्वल~
©Ujjwal Sharma
ये आज का संसार हैं
जहाँ हर कोई अकेला है
जहाँ हम सब हमदर्द हैं
और हम सब को सबसे दूर भागना हैं
भागना हैं दूर क्षितिज के किसी किनारे पे
पर इस गोल संसार में
हम जहाँ से शुरू होते हैं