देव तुल्य जो समझ गया है आशा अपेक्षा एक नहीं भोग

"देव तुल्य जो समझ गया है आशा अपेक्षा एक नहीं भोग विलासी , कुटुंब त्यागे मन की दुर्दशा करे वही नीती , नाद, नवं युग का जातक सबको सर सन्मान मिले प्राप्ती हो उसे विष की फिर भी सबको अमृत पान मिले #सत्यसाधक ©@π!k€✓"

 देव तुल्य जो समझ गया है
आशा अपेक्षा एक नहीं


भोग विलासी , कुटुंब त्यागे
मन की दुर्दशा करे  वही


नीती , नाद, नवं युग का जातक
सबको सर सन्मान मिले


प्राप्ती हो उसे विष की फिर भी
सबको अमृत पान मिले


#सत्यसाधक

©@π!k€✓

देव तुल्य जो समझ गया है आशा अपेक्षा एक नहीं भोग विलासी , कुटुंब त्यागे मन की दुर्दशा करे वही नीती , नाद, नवं युग का जातक सबको सर सन्मान मिले प्राप्ती हो उसे विष की फिर भी सबको अमृत पान मिले #सत्यसाधक ©@π!k€✓

#droplets

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