कलम और कागज़ जिंदगी में गम हैं तो क्या अब मैं मुस्क | हिंदी शायरी

"कलम और कागज़ जिंदगी में गम हैं तो क्या अब मैं मुस्कुराना छोड़ दूं, घरवालों के ताने वानों से क्या घर में आना छोड़ दूं, माना मुझे अभी कोई रोजगार नहीं मिला बेरोजगार हूं, बेरोजगारी के कारण क्या मैं लिखना लिखाना छोड़ दूं। आदित्य यादव उर्फ़ "कुमार आदित्य यदुवंशी"✍️ ©Aditya Yadav"

 कलम और कागज़ जिंदगी में गम हैं तो क्या अब मैं मुस्कुराना छोड़ दूं,
घरवालों के ताने वानों से क्या घर में आना छोड़ दूं,
माना मुझे अभी कोई रोजगार नहीं मिला बेरोजगार हूं, 
बेरोजगारी के कारण क्या मैं लिखना लिखाना छोड़ दूं। 

              आदित्य यादव उर्फ़
                 "कुमार आदित्य यदुवंशी"✍️

©Aditya Yadav

कलम और कागज़ जिंदगी में गम हैं तो क्या अब मैं मुस्कुराना छोड़ दूं, घरवालों के ताने वानों से क्या घर में आना छोड़ दूं, माना मुझे अभी कोई रोजगार नहीं मिला बेरोजगार हूं, बेरोजगारी के कारण क्या मैं लिखना लिखाना छोड़ दूं। आदित्य यादव उर्फ़ "कुमार आदित्य यदुवंशी"✍️ ©Aditya Yadav

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