जो खुशियां किसी को दुख देकर मिले,
उन खुशियों से खुश होना कैसा,
जो रात कोई ख्वाब ही ना दिखाए,
उस रात में फिर सोना कैसा,
जिसकी जिंदगी में हमारी अहमियत ही नहीं,
उस इंसान का फिर होना कैसा,
वो खुश है मुझे दुख देकर,
तो उस इंसान के लिए रोना कैसा,
जो मिलती हो खुशियाँ किसी को दुख देकर,
फिर उन खुशियों का होना कैसा।।
....वेद बैरागी~
#wetogether