बहन की पुकार चारों तरफ उजाला घर अंधेरी रात थी, जब | हिंदी Poetry Video

"बहन की पुकार चारों तरफ उजाला घर अंधेरी रात थी, जब वो हुआ शहीद उन दिनों की की बात थी। पलके बिछाए बैेठी बहना की है ये पुकार, राखी मनाने क्यों ना आए भैया अबकी बार। बॉर्डर से फोन आयी घर संदेशा आया गया, गम में डूबा सब गांव घर मातम सा छा गया। आंगन में बैठी मां से बेटी पूछे बार-बार, राखी मनाने क्यों ना आए भैया अबकी बार। भाभी ने आज भी नही बिंदिया लगाई है, है दोनों हाथ खाली न मेहंदी रचाई है। दरवाजे पर पापा भी खड़े थे हो लाचार, राखी मनाने क्यूं न आए भैया अबकी बार। अक्सर बहनों की किस्मत में जब विदाई होतीं है, मां बाप की दुलारी जब पराई होतीं है। तो भैया को क्यों विदाई करने आया ये संसार, राखी मनाने क्यों न आये भैया अबकी बार। ©Er VKB Shayar "

बहन की पुकार चारों तरफ उजाला घर अंधेरी रात थी, जब वो हुआ शहीद उन दिनों की की बात थी। पलके बिछाए बैेठी बहना की है ये पुकार, राखी मनाने क्यों ना आए भैया अबकी बार। बॉर्डर से फोन आयी घर संदेशा आया गया, गम में डूबा सब गांव घर मातम सा छा गया। आंगन में बैठी मां से बेटी पूछे बार-बार, राखी मनाने क्यों ना आए भैया अबकी बार। भाभी ने आज भी नही बिंदिया लगाई है, है दोनों हाथ खाली न मेहंदी रचाई है। दरवाजे पर पापा भी खड़े थे हो लाचार, राखी मनाने क्यूं न आए भैया अबकी बार। अक्सर बहनों की किस्मत में जब विदाई होतीं है, मां बाप की दुलारी जब पराई होतीं है। तो भैया को क्यों विदाई करने आया ये संसार, राखी मनाने क्यों न आये भैया अबकी बार। ©Er VKB Shayar

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