अकेलापन " क्या होता है अकेलापन अकेला हो जाना और अ

""अकेलापन " क्या होता है अकेलापन अकेला हो जाना और अकेले रह जाने में काफ़ी फर्क होता है मेरे खयाल से , जब हम अकेले होते हैं उस समय बस हम अकेले ही रहना चाहते हैं किंतू जब हम अकेले रह जाते हैं तो यह स्थिति अंदर ही अंदर अथाह कष्ट देती है अकेला पन जहां एक सुकून देता है वहीं दूसरी तरह अकेला रह जाना हमे अथाह पीड़ाओं से बांध देता है, उस समय हम अपनी पीड़ाओं को किसी से कह भी नही सकते किसी से अपनी वेदनाएं साझा नही कर सकते , या यूं कहें कि इस स्थिति में किसी से कुछ कहने का मन ही नही करता , क्या वास्तव में अकेलापन हमे मजबूत बनाता है ? धीरे धीरे हमे इस अकेलेपन की आदत सी होने लगती है और एक समय आता है की हमे कुछ महसूस ही नही होता बस दिन गुजरते जाते हैं और राते कटती जाती हैं लोगो की हां में हां मिला देते हैं और हल्का सा मुस्कुरा देते हैं और धीरे धीरे एक ऐसा समय भी आता है की हमारी फीलिंग्स भी खतम हो जाती हैं , किसी को न सुनने का मन करता है न सुनाने का , क्या वास्तव में अकेलापन हमे मजबूत बनाता है? ©पूर्वार्थ"

 "अकेलापन " क्या होता है अकेलापन अकेला हो जाना और अकेले रह जाने में काफ़ी फर्क होता है मेरे खयाल से , जब हम अकेले होते हैं उस समय बस हम अकेले ही रहना चाहते हैं किंतू जब हम अकेले रह जाते हैं तो यह स्थिति अंदर ही अंदर अथाह कष्ट देती है अकेला पन जहां एक सुकून देता है वहीं दूसरी तरह अकेला रह जाना हमे अथाह पीड़ाओं से बांध देता है, उस समय हम अपनी पीड़ाओं को किसी से कह भी नही सकते किसी से अपनी वेदनाएं साझा नही कर सकते , या यूं कहें कि इस स्थिति में किसी से कुछ कहने का मन ही नही करता , क्या वास्तव में अकेलापन हमे मजबूत बनाता है ?

धीरे धीरे हमे इस अकेलेपन की आदत सी होने लगती है और एक समय आता है की हमे कुछ महसूस ही नही होता बस दिन गुजरते जाते हैं और राते कटती जाती हैं लोगो की हां में हां मिला देते हैं और हल्का सा मुस्कुरा देते हैं और धीरे धीरे एक ऐसा समय भी आता है की हमारी फीलिंग्स भी खतम हो जाती हैं , किसी को न सुनने का मन करता है न सुनाने का , क्या वास्तव में अकेलापन हमे मजबूत बनाता है?

©पूर्वार्थ

"अकेलापन " क्या होता है अकेलापन अकेला हो जाना और अकेले रह जाने में काफ़ी फर्क होता है मेरे खयाल से , जब हम अकेले होते हैं उस समय बस हम अकेले ही रहना चाहते हैं किंतू जब हम अकेले रह जाते हैं तो यह स्थिति अंदर ही अंदर अथाह कष्ट देती है अकेला पन जहां एक सुकून देता है वहीं दूसरी तरह अकेला रह जाना हमे अथाह पीड़ाओं से बांध देता है, उस समय हम अपनी पीड़ाओं को किसी से कह भी नही सकते किसी से अपनी वेदनाएं साझा नही कर सकते , या यूं कहें कि इस स्थिति में किसी से कुछ कहने का मन ही नही करता , क्या वास्तव में अकेलापन हमे मजबूत बनाता है ? धीरे धीरे हमे इस अकेलेपन की आदत सी होने लगती है और एक समय आता है की हमे कुछ महसूस ही नही होता बस दिन गुजरते जाते हैं और राते कटती जाती हैं लोगो की हां में हां मिला देते हैं और हल्का सा मुस्कुरा देते हैं और धीरे धीरे एक ऐसा समय भी आता है की हमारी फीलिंग्स भी खतम हो जाती हैं , किसी को न सुनने का मन करता है न सुनाने का , क्या वास्तव में अकेलापन हमे मजबूत बनाता है? ©पूर्वार्थ

#अकेलापन_भी_बहुत_कुछ_सिखा_जाता_है

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