Dear Dad ✍️आज की डायरी✍️ ✍️फेसबुक | हिंदी कविता

"Dear Dad ✍️आज की डायरी✍️ ✍️फेसबुक का ऐसा प्रभाव...✍️ बातों के सिलसिले आजकल खत्म ही हो गये हैं । हर किसी के पास दो पल का अभाव हो गया है ।। मशीनीकरण के युग में जी रहे हैं हम लोग यहाँ । ह्वाट्सएप और फेसबुक का ऐसा प्रभाव हो गया है ।। सारी भावनाएँ निकलती हैं अब सिर्फ़ चैटिंग पर ही । इंस्टाग्राम और ट्विटर से ही सारा लगाव हो गया है ।। ख़त्म हो गया है चिट्ठी -पाती का वो ज़माना अब तो । कागज़ -कलम से जैसे हमारा अलगाव हो गया है ।। ख़त्म हो जायेगी एक दिन मानवता भी हम लोगों में । यंत्रीकरण का हम सब पर ऐसा दुष्प्रभाव हो गया है ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र"

 Dear Dad ✍️आज की डायरी✍️

                ✍️फेसबुक का ऐसा प्रभाव...✍️

बातों के सिलसिले आजकल खत्म ही हो गये हैं ।
हर किसी के पास दो पल का अभाव हो गया है ।।

 मशीनीकरण के युग में जी रहे हैं हम लोग यहाँ ।
ह्वाट्सएप और फेसबुक का ऐसा प्रभाव हो गया है ।।

सारी भावनाएँ निकलती हैं अब सिर्फ़ चैटिंग पर ही ।
इंस्टाग्राम और ट्विटर से ही सारा लगाव हो गया है ।।

ख़त्म हो गया है चिट्ठी -पाती का वो ज़माना अब तो ।
कागज़ -कलम से जैसे हमारा अलगाव हो गया है ।।

ख़त्म हो जायेगी एक दिन मानवता भी हम लोगों में ।
यंत्रीकरण का हम सब पर ऐसा दुष्प्रभाव हो गया है ।।

                               ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र

Dear Dad ✍️आज की डायरी✍️ ✍️फेसबुक का ऐसा प्रभाव...✍️ बातों के सिलसिले आजकल खत्म ही हो गये हैं । हर किसी के पास दो पल का अभाव हो गया है ।। मशीनीकरण के युग में जी रहे हैं हम लोग यहाँ । ह्वाट्सएप और फेसबुक का ऐसा प्रभाव हो गया है ।। सारी भावनाएँ निकलती हैं अब सिर्फ़ चैटिंग पर ही । इंस्टाग्राम और ट्विटर से ही सारा लगाव हो गया है ।। ख़त्म हो गया है चिट्ठी -पाती का वो ज़माना अब तो । कागज़ -कलम से जैसे हमारा अलगाव हो गया है ।। ख़त्म हो जायेगी एक दिन मानवता भी हम लोगों में । यंत्रीकरण का हम सब पर ऐसा दुष्प्रभाव हो गया है ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र

#FathersDay

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