मेरी मंजिल मेरे सामने रहती है
कदम बढ़ नही पाते उधर आजकल
हम काम मे इतने क्यों मशरूफ रहते है
ये हवा न जाने किसी ओर गली क्यों बहती है
कभी वो शांत रहती है
कभी मेरी खुशियां उसकी आंखों से बहती है
न जाने कोनसी कशिश है दिल मे उसके
जब सामने आती है
उसकी नज़र मेरे चेहरे पर रहती है
हम देख कर उसे सहमे रहते है
वो न जाने क्यों मुस्कुराती रहती है
आजकल वो रास्ते भी सुनसान से है
उन्हें भी मेरी कहानियों की तलाश रहती है
चलो चलते है उन गलियारों में फिरसे
जहां मेरी महबूबा मेरी राह ताकती रहती है
जिसके दिल मे आज भी मेरे आने की आस रहती है
हम ही दूर से लगते है उन्हें
वो तो हरपल मेरे पास रहती है
मेरी मंजिल मेरे सामने रहती है
दिल से पुकारे तो वो हमें
मेरी हर याद तो उसके ही साथ रहती है
मेरी धड़कन तो उसके दिल मे ही रहती है
न जाने उसके मन मे ये संका क्यों रहती है
मेरी जिंदगी मेरी मंजिल तो मेरे सामने ही रहती है......
©Priyansh
#OneSeason