Life and Poem आज जिंदगी उस टुटे कांच के बरतन जैस

"Life and Poem आज जिंदगी उस टुटे कांच के बरतन जैसी हो चुकी है ,कि जिसे टुटने के बाद कितना भी जोड लो , नाम उसे कचरे का ही दिया जाता है"

 Life and Poem 
आज जिंदगी उस टुटे कांच के
 बरतन जैसी हो चुकी है ,कि जिसे टुटने के 
बाद  कितना भी जोड लो , 
नाम उसे कचरे का ही दिया जाता है

Life and Poem आज जिंदगी उस टुटे कांच के बरतन जैसी हो चुकी है ,कि जिसे टुटने के बाद कितना भी जोड लो , नाम उसे कचरे का ही दिया जाता है

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