चलो उनकी यादों की तस्वीर बनाते हैं, कभी रोते हैं, | हिंदी शायरी

"चलो उनकी यादों की तस्वीर बनाते हैं, कभी रोते हैं, कभी गाते हैं, तो कभी खिलखिलाते हैं, अब आप कहेंगे फिजूल में क्यों खयाली पुलाव पकाते हैं क्या करें साहब इसके सिवा हम कुछ कर भी तो नहीं पाते हैं। ©Suresh kumar (laddu)"

 चलो उनकी यादों की तस्वीर बनाते हैं,
कभी रोते हैं,
कभी गाते हैं,
तो कभी खिलखिलाते हैं,
अब आप कहेंगे
 फिजूल में क्यों 
खयाली पुलाव पकाते हैं
क्या करें साहब
इसके सिवा हम कुछ कर भी तो नहीं पाते हैं।

©Suresh kumar (laddu)

चलो उनकी यादों की तस्वीर बनाते हैं, कभी रोते हैं, कभी गाते हैं, तो कभी खिलखिलाते हैं, अब आप कहेंगे फिजूल में क्यों खयाली पुलाव पकाते हैं क्या करें साहब इसके सिवा हम कुछ कर भी तो नहीं पाते हैं। ©Suresh kumar (laddu)

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