साँसों की डोर
साँसों की डोर बंधी है उतनी,
जितनी लिखी भगवान ने।
कर्म किये जो तुमने उनकी,
जाएगी खाता बही साथ में।
दुख न देना तुम किसी को,
वरना जिंदगी तुमसे दूर है।
कहते हैं ईश्वर तुम सुन लो,
यही जीवन का दस्तूर है।
हँसी खुशी से तुम मिलो,
ये जीवन का प्रसाद है।
चैन मिलेगा देखो तुमको,
जीवन फिर आबाद है।
छूट न जाए साँसों की डोर,
ये रखना कदम संभाल के।
जब भी दिखाया तुमने जोर,
समझो टूटोगे खींच तान के।
बेशक जिंदगी रहेगी उतनी,
पर बीतेगी ये बदहाल में।
गुमान करो न बिलकुल भी,
खुश रहो अब हर हाल में।
साँसों की डोर बंधी है उतनी,
जितनी लिखी भगवान ने।
कर्म किये जो तुमने उनकी,
जाएगी खाता बही साथ में।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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साँसों की डोर
साँसों की डोर बंधी है उतनी,
जितनी लिखी भगवान ने।
कर्म किये जो तुमने उनकी,
जाएगी खाता बही साथ में।