एक जान ही बाकी है, तेरे एक इशारे पर दे दूं , रोज | हिंदी शायरी
"एक जान ही बाकी है, तेरे एक इशारे पर दे दूं ,
रोज थोड़ी थोड़ी लेगा या एक बार में ही दे
दूं।
आसमान में उछाले हैं कई पत्थर नियत से मैंने,
आसमान में होगा छेद एक दिन, तुझे थोड़ी तस्सली तो दे दूं।"
एक जान ही बाकी है, तेरे एक इशारे पर दे दूं ,
रोज थोड़ी थोड़ी लेगा या एक बार में ही दे
दूं।
आसमान में उछाले हैं कई पत्थर नियत से मैंने,
आसमान में होगा छेद एक दिन, तुझे थोड़ी तस्सली तो दे दूं।